रांची:
28 अगस्त 2019। चुनावी साल था। कोकर में बेरोजगारी से तंग आकर एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी। तब झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हेमंत सोरेन ने इस खबर को ट्वीट किया। शब्द बड़े मार्मिक थे। लिखा। उफ्फ! उदास मत हो मेरे साथियों। युवा विरोधी बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंक हम युवाओं की सरकार बनायेंगे।
हेमंत सोरेन के वादों की गहन पड़ताल
तब मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार रहे हेमंत सोरेन ने कहा था कि विश्वास रखें। सरकार बनते ही पहले साल में 5 लाख नौकरी देंगे। निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण देंगे। रोजगार नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा। 25 करोड़ तक की सरकारी निविदा में हक दूंगा। अब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं। युवाओं ने उनकी सरकार भी बना दी। अब मुख्यमंत्री ने जो कुछ भी कहा था, क्या वो पूरा हुआ। क्या पूरा होने की उम्मीद है। क्या सरकार ऐसी मंशा रखती है। जवाब तलाशते हैं।
मुख्यमंत्री बनते ही पलट गये हेमंत सोरेन
तारीख! 23 मार्च 2022। झारखंड विधानसभा का बजट सत्र। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संबोधन। मुख्यमंत्री ने रोजगार के सवाल पर कहा कि मैंने कभी नहीं कहा था कि हर साल 5 लाख नौकरी दी जाएगी, बल्कि मैंने कहा था कि हर साल 5 लाख रोजगार देंगे। मतलब, मुख्यमंत्री ने सफेद झूठ बोला। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने रोजगार के वादे पर झूठ बोला हो। साफ-साफ वादे से मुकर गये हों।
दिसंबर 2021 में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था। नौकरी क्यों करते हैं लोग। पैसा कमाने के लिए ना। खाली नौकरिये से पैसा आता है क्या। आप लोग स्वरोजगार नहीं कर सकते। मुर्गी और अंडा पालन में कितना स्कोप है। आप अंडा दुकान खोलिये। सरकार खरीदेगी।
बेरोजगारी भत्ते पर भी पलट गई हेमंत सरकार
केवल रोजगार ही नहीं बल्कि बेरोजगारी भत्ता के सवाल पर भी हेमंत सरकार मुकरी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने घोषणापत्र में एलान किया था कि ग्रेजुएट बेरोजगारों को 5 हजार वहीं पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों को 7 हजार रुपया बतौर बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा। जब बेरोजगारी भत्ता देने की बारी आई तो सरकार ने कहा टेक्निकल बेरोजगारों को ही भत्ता मिलेगा।
आशय ये है कि केवल उन्हीं लोगों को बेरोजगारी भत्ता मिलेगा जिन्होंने पॉलिटेक्निक या आईटीआई जैसा को टेक्निकल डिग्री हासिल किया हो। सामान्य ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट बेरोजगारों को राशि नहीं मिलेगी। हालत ये है कि अभी तक बेरोजगारी भत्ता को लेकर कोई स्पष्ट मापदंड तय नहीं किया जा सका है।
नियुक्ति वर्ष में ही रद्द हो गयी छह नियुक्ति प्रक्रिया
जहां तक रोजगार की बात है। जिस साल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, उसमें 6 नियुक्ति प्रक्रिया रद्द हो चुकी है। पंचायत सचिव अभ्यर्थियों की नियुक्ति का मामला लटका हुआ है। 7वीं से 10वीं जेपीएससी की मुख्य परीक्षा हो चुकी है लेकिन ये भी विवादों में फंसी है। छठी जेपीएससी का मामला भी लटका हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन के कर्मचारी नौकरी जाने के डर से राजभवन के सामने बैठे हैं। सरकार वादा-वादा खेल रही है।